आत्मदर्शी व ब्रहमदर्शी गुरु के ब्रह्मविद्या के द्वारा निर्देशित हमारा सिद्धान्त संपूर्ण रूपसे विशुद्ध, प्राकृतिक एवं सूक्ष्म ब्रह्माण्डिय सृजनात्मक व रचनात्मक एवं विकासात्मक विज्ञान पर आधारित है। हम सभी वर्ण, जाति एवं सभी धर्म के हर व्याक्तियों को स्वागत है एवं सभी से निवेदन है की-
हम ब्रह्मविद्या के सहारे अधूरा व अपूर्ण मानव से विकसित कर एवं आयु की वृद्धि कर सम्पूर्ण विकसित मानव, महामानव, देवतुल्य मानव, भगवततुल्य मानव, ईश्वरतुल्य मानव, महेश्वरतुल्य मानव, सार्बभौमत्व एवं परमात्मा की प्राप्ति कराने में सफल होंगे। प्रवृत्तिमार्ग में मानवता का यह विकास को तब अवश्य ही प्राप्त करने में सक्षम होंगे जब आप हर प्रकार से योग्यता, अधिकार, कर्तव्य एवं मर्यादा को पालन करने में संकल्प बद्ध रहेंगे। और जो व्याक्ति निवृत्ति मार्ग पर चलना चाहते है उसे भी सीधा परमात्मा में प्रवेश दिलाने में हम सक्षम होंगे। प्रवृत्तिमार्ग व संसार धर्म विधि को आजतक संसार में कभी दिया ही नहीं गया है इसीलिए विश्व के हर संसारी जोग दुखी है, अधूरा है, अतृप्त है, अशांत है, इसीलिए आज चारो तरफ विनाश लीला का ही तांडव चल रहा है। इसका सम्पूर्ण समाधान केवलमात्र हमारे पास ही है।
इसीलिए हमसे जुरने के लिए किसी भी प्रकार के छल कपट न करे। सभी जानकारी सत्य, सटीक एवं निसंकोच दें। ब्रह्मर्षि एवं ब्रह्मविद्या का दक्षिणा पहले ही दी जाती है अत: सामर्थानुसार डोनेशन अवश्य ही दें।
व्याक्तिगत रेजिस्ट्रेशन करके पूरे परिवार मे या किसी संस्था या किसी भी दूसरे में हमारा सिद्धान्त व ज्ञान को न बांटे, किसी को यह ज्ञान व सिद्धान्त सुनाने से पहले उसका रेजिस्ट्राशन कराना अनिवार्य है। क्यौंकी हमारे 90% से 99% धर्मसत्ता (आश्रम, मठ, मंदिरों) एवं राजसत्ता पर अयोग्य एवं स्त्रीलोलुप, धनलोलुप, सत्तालोलुप लोगों का कब्जा हो गया है। वे धर्मसत्ता एवं राजसत्ता को सहारा बनाकर स्त्रियाँ, धन, संपत्ति, सत्ता हासिल कर जनता व गृहस्थियों को धोखा देने का काम कर रहे है। इसमें भ्रष्ट साधक, भ्रष्ट ब्राह्मण एवं भ्रष्ट गृहस्थी सामिल है। हिन्दुओं के पतन का यह ही एकमात्र मूल कारण है। सभी धर्म संस्थानों एवं राज संस्थाओं को इनसे छुरावाकर पूर्ण विकसित एवं पूर्ण योग्यता सम्पन्न मानव को प्रतिष्ठित करना है एवं विश्व के सभी अमानव, पशुमानव, अविकसित मानव को पूर्ण विकसित मानव (Complete Human), महामानव (Super Human) बनाना हमारा परम एवं पहला लक्ष है। इसके अलावा हिन्दुओं व सनातन धर्म को एवं मानव सभ्यता को इन लुटेरों से बचाने का दूसरा कोई उपाय नहीं है। भ्रष्ट नेता लोग देश की सारी धन-संपत्तियों को लूटकर देश विदेश में जमा कर लिए है, इसे वापिस लाना है। अत: मर्यादा का पालन अवश्य ही करें। ऐसा न करने पर गुरु मर्यादा, ज्ञान मर्यादा, सात्विक मर्यादा का उलंघन होगा। जो की गुरुद्रोही, ज्ञानपापी, सात्विक मर्यादा लंघनकारी सावित होगा। यह व्याक्ति अमर जगत, ज्ञान जगत, स्वर्गलोक के लिए अयोग्य है। सभी मर्यादा को पालन कर सकने में समर्थ व्याक्ति ही हमसे जुडने की प्रचेष्टा करे। अन्यथा रेजिस्ट्राशन न करें।
प्रवृत्ति मार्गी, निवृत्ति मार्गी एवं आर्थिक, चारित्रिक एवं दिमागी स्थिति को ध्यान में रखते हुए Donation / अनुदानकारियों के रेजिस्ट्राशन के लिए चार ग्रुप बनाए गए है। अपनी योग्यता एवं चाहत के अनुसार अपना ग्रुप चुन लें।
रेजिस्ट्राशन ग्रुप "D" निवृत्ति मार्गियों जो सिर्फ मोक्ष ही प्राप्त करना चाहते है उन व्याक्तिओं के लिए एवं निर्धन लोगों के लिए है। जो सिर्फ जानकारी प्राप्त करना चाहत है उनके लिए है। आप अपनी ईच्छानुसार जितना कम या ज्यादा अनुदान कर सकते है। आप सभी विषय पढ़ सकते है। सार्बजनिक रूपसे सवाल भी कर सकते है एवं जबाव भी सार्बजनिक ही मिलेगा। व्याक्तिगत जबाव पाने के लिए "B" ग्रुप में रेजिस्ट्राशन करना पड़ेगा।
रेजिस्ट्राशन ग्रुप "C" है अपनी आय का 1% अनुदानकारियों के लिए है। यह ग्रुप अल्प आय वालों के लिए है। सवाल जबाव जो नही करना चाहत है सिर्फ जानकारी प्राप्त कर अपने दिमाग से ही चलना चाहत है उनके लिए है। आप सार्बजनिक पेज पर अपनी एवं अन्य सभी के सवाल जबाव को पढ़ सकेंगे, लेकिन व्याक्तिगत रूपसे नहीं। व्याक्तिगत जबाव पाने के लिए "B" ग्रुप में रेजिस्ट्राशन करना पड़ेगा।
"B" ग्रुप है अपनी आय का 10% अनुदानकारियों के लिए। यह ग्रुप माध्यम एवं ऊच्च आय वालों के लिए है। आप अपने अपने स्थान पर रहकर नेटवर्क के माध्यम से हर प्रकार के व्याक्तिगत सवाल के जबाव व्याक्तिगत रूपसे प्राप्त कर सकेंगे एवं सार्वजनिक पेज पर भी सभी के सवाल जबाव भी पढ़ सकेंगे। आप स्वस्थान में रहकर लिखित रूपसे सवाल जबाव करके हर प्रकार के सहायता ले सकते है। पूरी तरह संतुष्ट होनेपर "A" ग्रुप में आजीवन सदस्यता के लिए आवेदन कर सकते है। सिर्फ "B" गूप के सदस्य ही केवल मात्र "A" ग्रुप में सामिल हो सकते है।
"A" ग्रुप है 100% अनुदानकारियों के लिए। आप हमारे परिवार में आजीवन सदस्यता प्राप्त कर सकेंगे। लेकिन पहले "B" ग्रुप का सदस्य बनकर सभी सवालों एवं जबावों से संतुष्ट होने के बाद ही इस "A" ग्रुप के सदस्य बन सकते है। आप हमारे साथ या संस्था में रहकर सभी प्रकार के जानकारी एवं शिक्षा जैसे आत्मदर्शन, ज्ञानग्रंथि का सम्पूर्ण विकास, ब्रहमदर्शन, भगवत प्राप्ति, ईश्वर प्राप्ति, सूक्ष्म शरीर धारण, मृत्यु एवं आयु के ऊपर पूर्णाधिकार गारंटी के साथ प्राप्त कर सकेंगे। मृत्युयापन से जीवनयापन एवं मृत्युलोक से अमरलोक के संतुलन कायम रखने के लिए यह नियम बनाए गए है। आपका ईमानदारी एवं सहयोग से ही हम पूरी दुनिया का कायाकल्प कर इस पृथ्वी में ही अमरलोक की स्थापना करने मे सक्षम होंगे। मृत्युलोक से अमरलोक बनाने के लिए यह नियम अनिवार्य है। यह बात अगर समझ में न आए तो हमारे बताए गए "जीवन गठन प्रणाली" को अपनाए तो आपका दिमाग इतना विकासित हो जाएगा की आपको सारी बातों को गहराई से समझ में आ जाएगा, यह प्रणाली हर मनुष्य के लिए पहला पेज पर ही दिए हुए है।
रेजिस्ट्राशन से पहले अपने सामर्थानुसार आर्थिक अनुदान के लिए Donation ग्रुप का चयन कर अनुदान करके इसका विवरण- अनुदानकारी का नाम, रसीद का विवरण व नंबर, अनुदान की मात्रा, आय का प्रतिशत कितना या स्वेच्छिक, तारीख, भेजने का स्थान का पता अवश्य ही सूचित करे।
रेजिस्ट्रेशन फार्म में मांगे गये सभी जानकारियां पूर्ण सत्यता के साथ देना अति आवश्यक है। क्यौंकी हम एक नयी मानव सभ्यता का निर्माण करने जा रहे है जिसे स्वर्गलोक, अमरलोक कहा जाता है। जंहापर सभी लोग हमेशा जवान, निरोग, पूर्ण विकसित ज्ञानी एवं सभी कलाओं से, विद्याओं से, शक्तियों से समर्थ होंगे। वर्णभेद हीन, जातिभेद हीन, धर्मभेद हीन मैत्रीपूर्न एक मानव सभ्यता व एक विश्व मानव परिवार होंगे।
हमने ऐसा व्यवस्था क्यौं किया? जबाव- 30 सालों तक मैने, जो भी व्याक्ति अपने अपने इच्छा लेकर मेरे पास आया है हर व्याक्तियों की इच्छा पूरी की है। लेकिन वे मानवता के किसी भी भलाई के काम में नहीं आ रहे है या नहीं आ पा रहे है। लाखों पति से करोड़ों पति बनने में लग गये, आयुहीन की आयु बढ़ा दिया तो और ज्यादा धन संपत्ति के जुगार में व्यस्त हो गये, मृत को जीवन दान मिला लेकिन वह मानते है ऐसा हो ही नहीं सकता है, ऊर्जा विकृति से लाईलाज पागल को जीवन मिला लेकिन वह मानवीय आचरण भी नहीं करना चाहते है। और इसी अपराध से दंडित होकर वे बार बार आ रहे है फिर से समाधान लेने के लिए। जो की सभी के लिए मारक साबित हो रहा था। इसीलिए इस महान विद्या को लुटवाकर देने से अच्छा है शृंखलाबद्ध मानव व्यवस्था बनाकर देने से ही सम्पूर्ण मानव सभ्यता को लाभ मिल सकता है। इसीलिए हर मर्यादा का पालन करना हर व्याक्ति के लिए अनिवार्य रहेगा।
नियम एवं शर्त प्रयोजन एवं समयानुसार संशोधन एवं परिवर्तन किए जा सकते है।